Sunday 14 July 2019

सेवानिवृत्ति में अकेलेपन से जूझना



किसी भी उम्र में अकेलापन बड़ी समस्या होती है और सेवानिवृत्ति में खुद की कीमत कम हो जाने की भावना के साथ वित्तीय सुरक्षा से संबंधित तनाव के चलते अकेलापन गंभीर समस्या हो सकती है।
अवसाद, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं या शारीरिक बीमारी होने की एक बहुत बड़ी वजह सामाजिक अलगाव और अकेलापन भी माना जाता है। ये स्थितियाँ आमतौर पर वृद्ध लोगों से जुड़ी होती हैं, जिन्हें हो सकता है सेवानिवृत्ति में अलग-थलग पड़ जाने गंभीर अनुभव आता हो, जैसे या तो जीवनसाथी का साथ छूट जाना या बच्चों का दूर चले जाना।
ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहाँ अकेलापन, अवसाद, उच्च रक्तचाप और अन्य मनोदैहिक बीमारियों का कारण बना है। शादीशुदा सेवानिवृत्त लोगों के साथ कम से कम उनका साथी तो होता है लेकिन वे जो एकल ही हैं या जीवनसाथी से विभक्त रहते हैं या जिन्होंने अपने साथी को खो दिया है, उनकी अकेलेपन की समस्या बहुत गहरी बढ़ जाती है।
अकेलापन वह दु:ख है, जो अक्सर सेवानिवृत्त लोगों को सालता रहता है। मोटापे से भी दुगुनी बड़ी बीमारी अकेलापन है, शोधकर्ताओं के अनुसार एकांतवास की पीड़ा वृद्धों के लिए काफ़ी घातक हो सकती है।
यहाँ तक की हमेशा मित्र मंडली में रहने वाले और मिलनसार लोग भी जब खुद को अकेलेपन और छिटक जाने के अनजान परिदृश्य में पाते हैं तो वह उनके अवसाद की वजह बन जाता है। अक्सर अकेलापन जीवनसाथी की मृत्यु,करीबी दोस्त के बिछड़ जाना या कमज़ोरी लाने वाली बीमारी के विकसित होने से आता है- वे सारी बातें जिनके बारे में हम सोचना तक नहीं चाहते, लेकिन वहीं दुर्भाग्य से हमारी उम्र बढ़ने के साथ अपरिहार्य हो जाती हैं। 
सेवानिवृत्त व्यक्ति अपने जीवन में कभी-कभी कई बदलावों से गुजरते हैं जो भले ही कम समय के लिए लेकिन उन्हें अकेलापन दे जाते हैं।                                  
  1. वयस्क बच्चे घर से बाहर चले जाते हैं और कभी-कभी तो घर से बहुत दूर चले जाते हैं।                   
  1. इसी समय लोगों का कार्यस्थल के ज़रिए अपने आप मिलने वाला सामाजिक दायरा समाप्त हो जाता है। अधिकांश लोग कामकाजी दिनों में कार्यस्थल के बाहर सामाजिक संपर्क बनाने की ज़हमत नहीं उठाते और सेवानिवृत्ति के बाद मौजूदा सामाजिक संपर्क से बाहर निकल पाना उनके लिए कहने में जितना आसान होता है, करने में उतना ही कठिन हो जाता है।
  1. जीवन के बाद के वर्षों में किसी पड़ाव पर जीवनसाथी का साथ छूट जाना असामान्य नहीं होता। जीवनसाथी को खो देना उस व्यक्ति के जीवन का गहनतम घनीभूत पीड़ादायी अनुभव होता है।
जो लोग सामाजिक रूप से सहज और अच्छी तरह से जुड़े होते हैं, वे आसानी से नए दोस्त बना सकते हैं, लेकिन अगर आपके लिए सामाजिक बन पाना दुरुह हैं और पारंपरिक रूप से दोस्त बनाना मुश्किल होता है, तो आपको संरचित गतिविधियाँ खोजने की ज़रूरत है जो सामाजिक संपर्क बनाने में आपकी मददगार हो सकेंगी।
नए दोस्त बनाने के लिए केवल थोड़ा-सा प्रयास करना पड़ता है लेकिन यह अकेलेपन की उन भावनाओं को दूर कर देता है जो सेवानिवृत्ति में आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हो सकती हैं। इतना ही नहीं इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि सामाजिक अलगाव आपको शारीरिक रूप से भी अधिक बीमार कर देता है, अत: अकेलेपन का मुकाबला करने से आपके स्वास्थ्य में भी सुधार हो सकता है।
वरिष्ठ सेवानिवृत्तों की बढ़ती संख्या का एकमात्र साथीदार उनका अपना टेलीविजन होता है और यह एक गंभीर चुनौती है जिसका हमें सामना करने की आवश्यकता है। क्या ऐसा कोई रास्ता नहीं है कि हम इन बुजुर्ग नागरिकों के साथ जुड़ सकें ताकि वे कुछ लोगों के संपर्क में जीवन के अपने शेष वर्ष बिता सकें?
एक बुजुर्ग ने मुझसे बातचीत में कहा- “मानवीय संपर्क मेरे लिए प्राणवायु के समान है। मैं अपने आप को व्यस्त रखने की कोशिश करता हूँ लेकिन मानवीय संपर्क का अवसर मिलना मेरे लिए किसी भी चीज से ज्यादा महत्वपूर्ण है। दूसरे इंसान का स्पर्श अधिक मायने रखता है।"
एक और बुजुर्ग ने कहा "यह मुझे दुखी करता है। मुझे नहीं लगता कि समाज के लिए अब मैं उपयोगी रह गया हूँ पर ऊपरी तौर पर मैं अपनी भावनाएँ दबाते हुए इस तरह से सोचता हूँ कि जीवन चलने का नाम। लोग कहते हैं कि मैं बहुत भाग्यशाली हूँ, जो अब तक मुझे सब याद है लेकिन यह मेरे लिए मददगार नहीं हो पाता। मैं अपने जीवन का अधिकतम लाभ उठा लेना चाहता हूँ।"
कई बड़े-बुजुर्ग सेवानिवृत्त लोगों से बात करने के बाद मैंने पाया कि वे अपने दोस्तों और परिवार के साथ सभी महत्वपूर्ण सामाजिक संपर्कों से चूक गए हैं। जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती गई,वे दोनों या उनमें से एक थकता चला गया और महीन सामाजिक ताने-बाने को बुनने में नाकाम होने लगे, जो वे जीवन भर करते आ रहे थे और वे साफ़ देख पा रहे थे कि सामाजिक दायरों से वे छिटकते जा रहे थे और उन्हें कई आयोजनों के निमंत्रण आने बंद हो गए थे। इसके बाद धीरे-धीरे वे ऐसे दौर में चले गए जब ऐसे दिन भी आएँ कि उन्होंने कई हफ़्तों तक अपने घर पर काम करने आने वाले लोगों के अलावा किसी को न देखा होगा।
हमने ऐसे कई मामलों के बारे में पढ़ा है, जिसमें पड़ोसियों ने अपार्टमेंट में से "सड़ांध" आने की शिकायत की थी और पुलिस को घटनास्थल पर किसी वरिष्ठ नागरिक की मृत देह पड़ी मिली थी। सेवानिवृत्त बुजुर्गों के अकेलेपन की गंभीरता को रेखांकित करने के लिए इससे अधिक और क्या होगा कि पूछ-परख करने वाला कोई न हो और कोई अकेले मर जाएँ और उसकी मरने की ख़बर भी कई दिनों तक न लग पाएँ।
अकेलापन संक्रामक है। अकेलापन महसूस करने वाले वयोवृद्ध ऐसे तरीके अपनाने लगते हैं जिससे दूसरे लोग उनके आस-पास फटकना तक नहीं चाहते।
हाल ही में हुए सर्वेक्षण से पता चलता है कि संयुक्त परिवारों में रहने वाले केवल 10 प्रतिशत भारतीय वरिष्ठ खुद को अलग-थलग महसूस करते हैं, जबकि एकल परिवारों में रहने वाले लगभग 68 प्रतिशत लोगों को अकेलापन लगता है। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले वृद्ध लोगों का सामाजिक संपर्क अधिक होता है और शहरी बुजुर्गों की तुलना में वे अकेलेपन के दर्द को कम महसूस करते हैं। यह भी पाया गया कि भारतीय वृद्ध महिलाओं की तुलना में वृद्ध पुरुषों द्वारा खुद को अकेला महसूस करने की आशंका अधिक होती है।
अकेलेपन से निपटना
बुजुर्गों और बीमारों की देखभाल करने वाले लोगों से चर्चा के आधार पर कुछ बिंदु निकलकर सामने आएँ, जिनकी मदद से अकेलेपन से निपटा जा सकता है।
  • सामाजिक बने रहें - अकेलेपन का सामना करने के लिए चिरस्थायी संबंध बनाकर रखें। उन दोस्तों के साथ फिर से जुड़ें, जिनके साथ आपका संपर्क छूट गया हैं और अपने आस-पास के दोस्तों के साथ नियमित मेल-मिलाप की दिनचर्या बनाएँ। अपने पुराने परिचितों के साथ फिर से जुड़ने के लिए सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों से जुड़ें। नई दोस्ती की तुलना में लंबे समय से चले आ रहे रिश्ते अकेलेपन से लड़ने में अधिक फायदेमंद होते हैं। आवास संकुलों में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों ने सामाजिक बने रहने का मार्ग चुन लिया है और कई निवासी कल्याण संघों ने उन्हें विशिष्ट क्षेत्र प्रदान किए हैं, जहाँ वरिष्ठ नागरिक सुबह और शाम मिल-बैठकर चाय-कॉफ़ी लेते हैं। 
  • नई रुचियाँ खोजें – सेवानिवृत्ति तक आते-आते संभवत: आपकी प्रतिबद्धताएँ और दायित्व कम हो गए होंगे। इसका लाभ अपनी रुचियाँ टटोलने के लिए लें, चाहे तो आप किसी स्थानीय स्कूल में ख़ुशी-ख़ुशी अपनी सेवाएँ दे सकते हैं, या किसी पुस्तक क्लब में जाना शुरू कर सकते हैं या कोई वाद्य बजा सकते हैं या लेखन करना प्रारंभ कर सकते हैं। कोई गतिविधि उतनी महत्वपूर्ण नहीं है जितना सार्थक आपका अन्य लोगों से होने वाला संवाद होगा, क्योंकि आप सभी उम्र के दोस्तों का नया वलय विकसित करेंगे, ऐसा वलय जिसके लोग आपको पसंद करते हैं और वे आपके ही समान रुचि रखते हैं। 
  • सकारात्मक रहें - अपने निराशावादी या नकारात्मक विचारों को चुनौती देने के लिए खुद से बात करना बहुत प्रभावशाली देखा गया है। वर्तमान जैविक स्थितियों की गलत या तर्कहीन व्याख्याओं के कारण अक्सर अकेलापन आता है। इन विचारों को पहचानें और उनके विपरीत तर्क दें, विपरीत साक्ष्य का उपयोग करें। यदि यह मुश्किल है या आपको सहायता की आवश्यकता है, तो आप परामर्शदाता से मिल सकते हैं या किसी ऐसे मित्र के साथ बैठ सकते हैं जिस पर आप भरोसा कर सकते हो। 
  • पालतू जानवर पाल लें - कुत्ता या बिल्ली अकेले लोगों का बड़ा साथी माना जाता है। यदि आप और आपका जीवनसाथी पालतू पशु पसंद करते हैं और किसी अन्य जीवित प्राणी की देखभाल करने की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं तो अपने घर में एक पालतू पशु ले आएँ।
मदर टेरेसा ने कहा था कि "अकेलापन और अवांछित होने की भावना सबसे भयानक गरीबी है"।
जहाँ विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने सेवानिवृत्त लोगों और वरिष्ठ नागरिकों की अकेलेपन की जरूरतों को समझ लिया है, हम भारत में अभी तक उनकी जरूरतों को समझ नहीं पाए हैं। हमें लगता हैं कि कोई व्यक्ति सेवानिवृत्त हो जाता है तो वह अपने पसंदीदा "धारावाहिकों" को टीवी सेट पर देखते हुए खुश रहता है और उसका साथ देने के लिए कुछ दोस्त होना पर्याप्त है। हमें अधिक देखने और सुनने की जरूरत है। वृद्ध लोग अक्सर दावा करते हैं कि वे ठीक हैं, और वे बोझ नहीं बनना चाहते हैं लेकिन ज्यादातर लोगों को मानवीय संपर्क की आवश्यकता होती है।
वृद्ध लोग खजाना हैं और उन्हें ऐसा ही माना जाना चाहिए।
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लेखक कार्यकारी कोच, कथा वाचक (स्टोरी टेलर) और एंजेल निवेशक हैं। वे अत्यधिक सफल पॉडकास्ट के मेजबान हैं जिसका शीर्षक है - द ब्रांड कॉल्ड यू- The Brand Called You, राजनीतिक समीक्षक और टीकाकार के साथ वे गार्डियन फार्मेसीज के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं। वे 6 बेस्ट सेलर पुस्तकों के लेखक हैं और कई ऑनलाइन समाचार पत्रों के लिए लिखते हैं।
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अनुवादक- स्वरांगी साने – अनुवादक होने के साथ कवि, पत्रकार, कथक नृत्यांगना, साहित्य-संस्कृति-कला समीक्षक, भारतीय भाषाओं के काव्य के ऑनलाइन विश्वकोष-कविता कोश में रचनाएँ शामिल। दो काव्य संग्रह- काव्य संग्रह “शहर की छोटी-सी छत पर” मध्य प्रदेश साहित्य परिषद, भोपाल द्वारा स्वीकृत अनुदान से प्रकाशित और काव्य संग्रह “वह हँसती बहुत है” महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा द्वारा स्वीकृत अनुदान से प्रकाशित।

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