Thursday 26 September 2019

"हाउडी मोदी" का पुनर्निर्माण


भारत के कतिपय विपक्षी नेताओं और पाकिस्तान के अमूमन सारे राजनेताओं और पत्रकारों को छोड़ दे तो हर कोई इस तथ्य को स्वीकार रहा है कि ह्यूस्टन टेक्सास में प्रधानमंत्री मोदी का भाषण, भारत के संदर्भ में बाजी पलटकर रख देने वाला है।
लगभग हर किसी ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बाद हुए डोनाल्ड ट्रम्प के भाषण के बारे में लिखा लेकिन लगता है किसी ने भी प्रधानमंत्री मोदी के प्रारंभिक भाषण पर कोई टिप्पणी नहीं दी, जिसके ज़रिए उन्होंने राष्ट्रपति ट्रम्प का आह्वान किया था। आइए इन दो नेताओं ने जिन कई मुद्दों पर बात की उसके पुनर्पाठ से पहले श्री मोदी ने जो परिचय दिया, उससे शुरुआत करते हैं।
दो नेताओं ने मंच पर प्रवेश किया तब श्री ट्रम्प का हाथ श्री मोदी के कंधे पर था। यह तीसरा अवसर था जब वर्ष 2019 में थोड़े अंतराल के बाद वे मिल रहे थे और दोनों की ख़ुशमिज़ाजी उनके हाव-भाव से साफ़ झलक रही थी।
प्रधानमंत्री मोदी आगंतुक थे, न कि ह्यूस्टन, टेक्सास में मेजबान। राष्ट्रपति ट्रम्प के आगमन से पहले कई अमेरिकी नेताओं ने उनका परिचय दिया और उनका सम्मान किया। जैसे ही राष्ट्रपति का आगमन हुआ, श्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रम्प का परिचय देने की जिम्मेदारी अपने हाथों में ली, गोकि श्री मोदी ही उस कार्यक्रम के मेजबान हो। उनके द्वारा पूरी तैयारी के साथ दिया गया परिचय, राष्ट्रपति के चेहरे पर मुस्कान ले आया और जिन विभिन्न मुद्दों के बारे में श्री मोदी ने कहा उस पर राष्ट्रपति ने सहमति दर्शाई।
श्री मोदी ने वर्णन किया कि कैसे राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ उनकी पहली मुलाकात में उनका परिचय ट्रम्प परिवार से करवाया गया था और उन्होंने कहा कि अब उनकी बारी थी कि वे राष्ट्रपति का परिचय अपने परिवार से कराए और ऐसा कहकर वे स्टेडियम के सभी श्रोताओं से मुखातिब हुए और उन श्रोताओं को अपना परिवार बताया जिस पर सभी ने जोश-ख़रोश में जयकारे लगाए-"मोदी मोदी"। यह वास्तव में उसी बात का प्रतिनिधित्व कर रहा था जिसका जिक्र वे हमेशा भारतीय दर्शन के ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ (विश्व एक परिवार है) के रूप में करते हैं।
उनकी टिप्पणियों "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (अमेरिका को फिर महान् बनाया जाए)" और "अबकी बार ट्रम्प सरकार" को भारत के विपक्षी नेताओं ने ग़लत तरीके से समझा और ग़लत तरीके से प्रस्तुत किया, ये वे ही लोग हैं जो बिना सोचे-समझे किसी भी बात को अपने पक्ष में करवा लेने की कोशिश करते हैं। इन लोगों ने अपनी सहुलियत से इस बात को पूरी तरह अनसुना कर दिया कि श्री मोदी राष्ट्रपति ट्रम्प के वर्ष 2016 के चुनाव अभियान के संदर्भ में यह जिक्र कर रहे थे। श्री मोदी ने बड़ी सावधानी से इन शब्दों को " उम्मीदवार (कैंडिडेट) ट्रम्प" के साथ रखा था। इस परिचय के समय श्री ट्रम्प और श्री मोदी साथ-साथ खड़े थे और इन शब्दों से उनका श्री ट्रम्प के साथ सुर एकदम जुड़ गया।
प्रधानमंत्री मोदी को साफ़-साफ़ पता था कि वे किस बारे में बोलने वाले हैं और जिस लाजवाब तरीके से उन्होंने तैयारी की थी और जो उनकी सोच थी, जिसे लेकर उन्होंने संवाद साधा था उसकी प्रशंसा हर कोई करेगा। एक ही भाषण में वे कई मतदाता वर्ग को संबोधित करते लग रहे थे:
  1. बड़ी तादाद में भारतीय अमेरिकियों ने उन्हें सुनने के लिए पाँच घंटे से अधिक समय तक इंतज़ार किया, उन 4 मिलियन भारतीय अमेरिकियों के साथ, जिन्होंने जबसे श्री मोदी को कद्दावर नेता के रूप में देखा है तब से उन्हें पूरा समर्थन दिया है, जो उनके देश, उनकी भूमि को लेकर उन्हें गौरवान्वित अनुभव कराता है।
  2. उनके पूरे भाषण के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति वहाँ उपस्थित थे।
  3. स्टेडियम में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों दलों के कई प्रतिनिधि और नेता मौजूद थे।
  4. लाखों भारतीय उनका भाषण सुनने के लिए वहाँ रुके थे, जबकि बहुत रात हो गई थी। उनमें से निश्चित रूप से कई विपक्षी दलों के नेता थे, जिन्होंने एक वक्तव्य से दूसरे वक्तव्य के बीच के अंतर के विस्तार को पहचाना होगा।
  5. पाकिस्तान के दर्शकों के लिए श्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति की उपस्थिति में कुछ सख्त टिप्पणियाँ भी की थीं।
ट्रम्प का परिचय दिए जाने के बाद श्री ट्रम्प ख़ुद उन्हें मंच के छोर तक ले गए ताकि वे स्थानापन्न हो राष्ट्रपति को सुन सकें।
श्री ट्रम्प ने बड़े उदार मन से प्रशस्त टिप्पणियाँ कीं और उन्होंने दो-तीन बार कहा कि व्हाइट हाउस में भारत सच्चा मित्र है। अमेरिका के लगभग 4 मिलियन भारतीयों से श्री मोदी ने जो अतुलनीय अपील की, राष्ट्रपति ने उसे पहचाना। कहीं न कहीं श्री ट्रम्प के मानस पटल में चल रहा होगा कि पिछले चुनावों में 77% भारतीय अमेरिकियों ने डेमोक्रेटिक की प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन को मतदान किया था। यदि वे यह विश्वास दिला सकें कि वे भारत का समर्थन करेंगे और इस तरह वे इतनी बड़ी संख्या में इन मतदाताओं को अपनी ओर कर पाने में सफल हो पाएँ तो, उनके लिए निश्चित ही मददगार होगा।
जब राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस्लामिक आतंकवाद का मुकाबला करने की बात की, तो विशेष रूप से दिलचस्प था कि उन्होंने अमेरिका और भारत इन दोनों देशों के बीच पहली बार हुए त्रिकोणीय रक्षा अभ्यास का उल्लेख किया।
उसके बाद श्री मोदी को राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा मंच पर आमंत्रित किया गया। यह देखना भी बड़ा दिलचस्प था कि इन दो विश्व नेताओं के बीच कोई तीसरा पक्ष नहीं था। श्री मोदी ने अमेरिकी निवेश आमंत्रित करने के लिए अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बात की, लेकिन उनका मुख्य संवाद पाकिस्तान और कश्मीर के बारे में था।
श्री मोदी उत्कृष्ट वक्ता हैं और शत्रु पर वार करने की उनकी अपनी ख़ास शैली है, वे लगातार 9-11 और 26-11 के बारे में इन हमलों के पीछे किसी देश या नेता का नाम लिए बिना सवाल पूछ रहे थे और लोगों की बढ़-चढ़कर प्रतिक्रियाएँ मिल रही थीं। इसका राष्ट्रपति ट्रम्प पर निश्चित ही गहरा प्रभाव पड़ा होगा क्योंकि इससे पहले वे इमरान ख़ान के साथ की पत्रकार वार्ता में भारी भीड़ की प्रतिक्रियाओं का अनुभव ले चुके थे। उस समय प्रधानमंत्री मोदी आतंकवाद पर लगातार तीखा हमला और कटाक्ष कर रहे थे और अब वे दोषियों के ख़िलाफ़ निर्णायक कार्रवाई के मुद्दे पर आ गए थे, जो वहाँ की भारी भीड़ में बैठे हर श्रोता तक गुंजायमान हो गया था और उनके सम्मान में वहाँ उपस्थित विशाल जनसमुदाय ने खड़े होकर तालियाँ बजाकर उनका अभिवादन किया।
जब बात धारा 370 के विषय में आई तो प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुसार संसद में दोनों सदनों द्वारा इस पर विस्तार से टेलीविजित बहस हुई थी और जिसे दुनिया भर के लोगों ने देखा था और इन बहसों के बाद ही दो-तिहाई बहुमत से यह कानून पारित किया गया था। श्री मोदी ने वास्तव में इस तथ्य की पुष्टि के लिए विभिन्न भाषाओं में श्री ट्रम्प और अन्य नेताओं को सूचित किया कि भारत में "सब ठीक है"। यह बात वास्तव में उन चंद नेताओं तक भी पहुँचानी थी जो पाकिस्तानी सोच पर “तोता रटंत” करते आ रहे हैं।
अपने भाषण के अंत में, श्री मोदी ट्रम्प के पास गए और उनका हाथ अपने हाथ में लेकर राष्ट्रपति के साथ पूरे स्टेडियम की विजयी परिक्रमा लगाई।
यह श्री मोदी का विश्व के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के सामने भारत की नरम शक्ति का प्रदर्शन करने का तरीका था और जिन मुद्दों को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में उठाया था उन पर निहित सहमति प्राप्त करना था। बहुत आश्चर्य नहीं होगा यदि हम 26 जनवरी 2020 के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रथम महिला को देखें।  
स्पष्ट रूप से श्री मोदी ने अमेरिका और श्री ट्रम्प के साथ इतने मजबूत संबंध बनाने के लिए बहुत श्रम किया है। यदि यह मानकर चले कि श्री ट्रम्प फिर से चुने जाते हैं, तो वे भारत के लिए ऐसे बन सकते हैं जैसे निक्सन, चीन के लिए थे। अगर ऐसा होता है, तो भारत 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की एकदम सही राह पर होगा और हम सभी को इसके लिए श्री मोदी को धन्यवाद देना होगा।
अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी अपने कार्यकाल के शुरुआती दौर से ही सभी कठोर फैसले लेने की जल्दी में हैं। चाहे हम उन्हें चाहें या उनसे नफरत करें, उनके पास 56 महीने से अधिक का समय है जब वे तीसरे कार्यकाल की चाह में फिर से चुनाव में खड़े होते हैं।
यह ‘मेक इंडिया ग्रेट अगेन’ (भारत को पुन: श्रेष्ठ) बनाने के लिए वर्ष 2014 से अब तक किए गए सभी परिवर्तनों को लागू करने और उनके परिणामों को देखने के लिए पर्याप्त समय है।
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लेखक कार्यकारी कोच, कथा वाचक (स्टोरी टेलर) और एंजेल निवेशक हैं। वे अत्यधिक सफल पॉडकास्ट के मेजबान हैं जिसका शीर्षक है - द ब्रांड कॉल्ड यू- The Brand Called You, राजनीतिक समीक्षक और टीकाकार के साथ वे गार्डियन फार्मेसीज के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं। वे 6 बेस्ट सेलर पुस्तकों के लेखक हैं और कई ऑनलाइन समाचार पत्रों के लिए लिखते हैं।
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  • अनुवादक- स्वरांगी साने – अनुवादक होने के साथ कवि, पत्रकार, कथक नृत्यांगना, साहित्य-संस्कृति-कला समीक्षक, भारतीय भाषाओं के काव्य के ऑनलाइन विश्वकोष-कविता कोश में रचनाएँ शामिल। दो काव्य संग्रह- काव्य संग्रह “शहर की छोटी-सी छत पर” मध्य प्रदेश साहित्य परिषद, भोपाल द्वारा स्वीकृत अनुदान से प्रकाशित और काव्य संग्रह “वह हँसती बहुत है” महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा द्वारा स्वीकृत अनुदान से प्रकाशित।

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