Sunday 1 January 2017

सेवा निवृत्ति हेतु बारह सूत्री योजना




जहाँ एक ओर विकसित देशों में ऐसे लोगों के लिए बहुत काम हुआ है,जो अपनी वृद्धावस्था की वजह से कोई भी कार्य करने में असमर्थ हैं और वृद्धजनों को एकाकीपन से जूझने में मदद करने के लिये मजबूत वैकल्पिक व्यवस्थाएं भी खड़ी की हैं, हम अभी भी सेवानिवृत्ति की चुनौतियों को पहचानने की शैशवावस्था में है और हमने अपने बुजुर्गों को सेवानिवृत्ति और उम्रदराजी के लक्षणों को समझने के लिए अकेला छोड़ दिया है.

मैंने जैसे ही अपनी सेवानिवृत्ति के बाद के जीवन के लिए कुछ योजनाएं बनाना शुरू किया , वैसे ही उन मुद्दों को सर्वप्रथम रखा, जिनका सामना करने से मैं पूरी उम्र बचता रहा और उन्हें हमेशा आगे धकेलता रहामुझे पता था उन चुनौतियों का सामना मुझे ख़ुद ही करना है और अपने संतोष के लिए ख़ुद ही उनसे भिड़ना भी है.

जीवन को सुव्यवस्थित कीजिए 

आपने अपने जीवन के शुरुआती दो दशक कड़ी मेहनत के साथ पढाई- लिखाई में खर्च किए, ताकि आप उस पायदान तक पहुँच सकें जहाँ आप अभी हैं.उसके बाद के तीन दशक आप कामकाज में व्यस्त रहे और उसके हर क्षण को प्रसन्नता से व्यतीत किया.इस बीच हर वर्ष आप ख़ुद से यह कहते रहे कि यह साल आपके जीवन का सबसे कठितम था और आप जो चाहते हैं उसे पाने के लिए आपको अभी और कुछ समय तक रुकना होगा. आपने अपने परिवार की पूरी-पूरी मदद की.
            
आपने अपने बारे में सोचना कब-से बंद कर दिया है? और पत्नी के बारे में? हममें से अधिकांश का जीवन हवाई अड्डों से होटलों के बीच दौड़ने में ही बीत जाता है. आप जिस शहर गए, क्या कभी रुककर उस शहर के पर्यटन स्थलों को देखा? या उस शहर या देश के ख़ास खान-पान का ज़ायका लिया? अब वह समय आ गया है कि आप अपने जीवन के बोझ को परे कर दें. गुलाबों की सुंगध लें और खुली हवा में सांस लें.

नकारात्मकता को दूर करें

हमारा बहुत सारा समय मित्रों और परिवारजनों की निंदा में बीत जाता है. शायद हमें अपने क़रीबी और प्रियजनों की तक़लीफ़ों के बारे में जानकर बहुत सुकून मिलता है. हम दूसरों के बारे में अफ़वाह सुनना चाहते हैं और यह सोचकर दु:खी हो जाते हैं कि किसी ने हमारे बारे में क्या कहा होगा, जबकि हमने कभी वैसा ख़ुद अपने कानों से सुना भी नहीं होता.

यही वह समय है कि जब हमें अपने जीवन में इस नकारात्मकता को निकाल देना है. हमारे नकारात्मक विचार किसी और को नहीं, केवल हमें परेशान करते हैं. हो सकता है कि आप किसी और के बारे में अच्छा नहीं बोल पाए, लेकिन निश्चित ही नकारात्मक बोलने से ख़ुद को रोक सकते हैं.

संग्रह करना छोड़े, देने लगे

प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात कहते हैं --''ईश्वर के सबसे समीप वही होता है, जिसकी आवश्यकताएँ न्यूनतम होती हैं ''

आप अपने पूरे जीवन में बहुत कुछ बटोरते गए और संग्रहित करते गए. किसी चीज को आपने ख़ुद से दूर नहीं किया. पता है न, जितना आपके पास है,उसमें से ज्यादातर की आपको जरूरत ही नहीं. थोड़े दयालु बनिये. चीजों को बाँटना शुरू कीजिए.यदि आपने किसी चीज का उपयोग पिछले ६ महीनों से नहीं किया है, तो बहुत हद तक संभव है कि उसका उपयोग आप आगे भी नहीं करेंगे.

कालनिर्णय का नियोजन

आपने अपने जीवन को तयशुदा कामों, अपने सहायक और अपनी घड़ी के अनुसार तय कर लिया है. आपके पास ज़रा भी ऐसा समय नहीं, जो आपका अपना हो. अब समय आ गया है कि अपने कालनिर्णय में से उन सारी अनचाही, अनावश्यक गतिविधियों और वचनों को निकाल दें, जिन्हें आप रोज़ करते हैं.

उस स्थिति तक पहुँचने की कोशिश करें, जहाँ आप किसी और के समय के गुलाम न हो, न किसी दूसरे की इस बात पर निर्भर कि आप उनके खाँचे में सही कैसे बैठ सकते हैं’. अपने समय की अति माँगों को कहने की आदत डालें और अपने रोज़मर्रा के जीवन में दो-पल शांति के मिलने पर खुद को कसूरवार भी न मानें.  

अपने लिए समय निकालें

कितनी बार आपने खुद से यह कहा है कि क़ाश मेरे पास कुछ और समय होता, अपने मन मुताबिक काम करने के लिए… ” ? आपका समय आपका अपना है. आप स्वयं अपने समय के मालिक हैं और आपको किसी और को कदापि यह अनुमति नहीं देनी चाहिए कि वे आपकी प्राथमिकताएं तय करें

काम की प्रतिबद्धताओं, परिवार की प्रतिबद्धताओं, सामाजिक प्रतिबद्धताओं और इसी तरह की कई दूसरी प्रतिबद्धताओं के बीच तीन दशक गुजर जाने के बाद हममें से अधिकतर पीछे मुड़कर देखते हैं और सोचते हैं कि हमने क्या पाया, काश कि उतना ही समय ख़ुद के लिए भी दिया होता जिसके हम हक़दार थे.

खुद के लिए समय निकालना बहुत ज़रूरी है और मैं अपने अकेले के लिए समय निकालना चाहूँगा. अब वह समय आ गया है कि खुद को मुक्त किया जाय और पूरा समय अपने लिए दिया जाए जिसकी आपको हमेशा से ज़रूरत थी.

ध्यान एवं योग 

मस्तिष्क को शांत रखने के लिए ध्यान धारणा बहुत ही उम्दा चिकित्सा पद्धति है. ध्यान में बैठने से आप बीते दिनों, अपने जीवन, अपनी रुचियों, पसंद-नापसंद और हर तरह के नकारात्मक भावों का आत्मपरीक्षण कर सकते हैं. योग,ध्यान और आत्म परीक्षण का संयुक्त रूप से आश्चर्यजनक प्रभाव मस्तिष्क तथा शरीर पर प्रतिदिन अनुभव होगा, जो भविष्य की और देखने का एक दृष्टिकोण देगा.
                      
शौक - पुरानों को नया करें और नए ज़िंदा करें

आज ही वह समय है जब हम अपने शौक फिर से नए कर सकते हैं. डाक टिकिट और सिक्कों का अपना पुराना संग्रह निकालकर व्यवस्थित कीजिए. अपना कैमरा, पसंदीदा वाद्य फ़िर हाथ में लीजिए, फ़िर-से बजाना शुरु कीजिए- हो सकता है कि पहले-पहल उसकी आवाज़ कुछ कर्कश या कर्ण कटु लगे, लेकिन कुछ समय बाद आप अपनी लय को पा लेंगे और यही आवाज़ सुमधुर संगीत में बदल जायेगी.
               
ताश या शतरंज,गोल्फ या टेनिस खेलिए, अलग-अलग व्यंजनों का आस्वाद लेने बाहर निकलिए और अपने अनुभवों के बारे में ब्लॉग लिखिए, अपने शहर के दर्शनीय स्थलों को देखने जाइये या उन शहरों की सैर पर निकलिए, जहाँ आप पहले जाना चाहते थे. आपको अपनी आज़ादी खुद पानी होगी.

कोई खेल खेलिए   

किसी विद्वान ने कहा है कि ''आप सारी उम्र युवा नहीं रह सकते, लेकिन बाकी सारी उम्र नादान रह सकते हैं''

हो सकता है कि शारीरिक रूप से आप बुढ़ापे के क़रीब हो लेकिन मानसिक तौर पर आपको उस उम्र में रहने की ज़रूरत नहीं. याद रखिए उम्र मात्र एक आँकड़ा है और आपकी आयु उतनी ही होती है, जितनी आप महसूस करते हैं. अपने आप को तलाशिए, खिलन्दड़ बनिए और खेलने के हर अवसर को लपक लीजिए! देखा, इससे सारी बातें कितनी आसान और कितनी मधुर हो गईं.

क्या आपने कभी अपने स्मार्ट फोन या टैबलेट में मौजूद ढेरों खेल खेलने की कोशिश की? एक बार आप उस दुनिया में प्रवेश करेंगे तो इस तरह के खेल खेलने वाले आपके ही जैसे कई नए मित्र आपको मिल जाएंगे.
        
हड़बड़ाहट कम कीजिए

महात्मा गांधी ने कहा था ''गति बढ़ाने के अलावा, जीवन में और भी बहुत कुछ है.''
                                                 

अपनी सांस की गति को कम कीजिए ताकि हर जितनी भी बार सांस ले या बाहर निकाले, उसके प्रति आप सतर्क हो सकेंगे. रफ़्तार कम करना मस्तिष्क की शांत स्थिति का भी परिचायक है. यदि आप प्रतिदिन अपने आप से लड़ते रहे, हमेशा इस अपराध बोध से ग्रस्त रहे कि आपने कुछ कम किया, तो आप नाख़ुश इंसान हो जाएंगे. वहीं दूसरी ओर, यदि आप इस सत्य को गहरे भीतर से स्वीकार लेते हैं कि आप अपने जीवन के नए अध्याय में पदार्पण कर रहे हैं और धीमे होना आपके नए परिप्रेक्ष्य का एक हिस्सा है, तो न तो यह संक्रमण काल इतना कष्टप्रद होगा, न ही उसे स्वीकार कर पाना भी.
              
अपनी बात को रखने की गति कम कीजिए, अपने भीतर उठने वाले विचारों की गति को कम कीजिए और पिछले कई वर्षों में जो उत्तेजनात्मक गति थी उसे भी अब कम कीजिए. ज्यादा से ज्यादा दूसरों को सुनिए. जब आपको लगे कि अब हस्तक्षेप करना ही होगा तब दूसरों की केवल सुनने की बजाए उनसे बात कीजिए. पहले बातचीत में जो बातें आपसे छूट जाती थीं अब आप उन बातों को भी सुन पाएँगे. इससे आप अपने परिवार वालों और दोस्तों के साथ अपने रिश्ते को नई रोशनी में देख सकेंगे. साफ़ आसमान में रात को तारे और दिन के उजाले में बादलों को देखना भर बंद कीजिए.किसी मॉल में जाकर बैठिए और देखिए कैसे हर कोई बेवजह कहीं कहीं जाने की जल्दी में है.

अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनिये 

जीवन के बचे हुए एक तिहाई वर्षों की शुरुआत में एक स्वस्थ शरीर की कामना करना कीजिए. हम में से अधिकांश अपने कार्यकाल में शरीर के प्रति लापरवाही बरतते हैं और हमारा शरीर पूरी संजीदगी से उस कठोर श्रम तथा तनाव को झेलता रहता है, जो हम उस पर थोपते हैं. इतना ही नहीं, हममें से अधिकांश थोड़े स्थूलकाय हो जाते हैं, जिसका दोष हम अपनी लगातार यात्राओं व असमय कुछ भी खाने की मजबूरी पर लगाते हैं
                               
अब शरीर रूपी इस मंदिर के लिए बदलाव की जरुरत है.यदि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं तो कल्पना कीजिए कि आप अपनी भावी योजनाओं में खुद को कितनी मुश्किलों में डाल सकते हैं,जबकि यात्रा के अगले चरण को हम जीवन कह रहे हैं

अब अपनी कैलोरी गिनना और रोज़ाना व्यायाम करना शुरू कर दीजिए

ऋणमुक्त हो जाइए

स्मरण रहे, अब आपको अपना जीवन सरल करना है, अतः ऐसी कोई भी खरीदी न करें जिससे आपका जीवन अधिक जटिल और उलझनों भरा हो जाए.

यदि आप कोई चीज नहीं खरीद सकते हैं तो तब तक मत खरीदिये, जब तक आप उस स्थिति में न आ जाए. किसी भी चीज़ को क्रेडिट कार्ड से खरीदने की ज़रूरत नहीं कि पहले कार्ड से खरीदा और बाद में उसके बिल को भरने के तनाव को पाला. कहीं अधिक अच्छा होगा कि आपके पास कम हो और आप अपने जीवन के दिनों का आनंद ले सकें, बजाय इसके कि ऋण ले और तनाव और चिंता को खुदबखुद आमंत्रित कर लें, जबकि आपको चैन और शांति चाहिये.

जो दिन जैसा आया, वैसा उसका स्वागत कीजिए

हर दिन एक नई शुरुआत लेकर आता है और हमारे पास जो है, उसके प्रति हमें कृतज्ञ रहना चाहिए.

प्रकृति से ज़्यादा और अधिक कुछ भी प्रेरणादायी नहीं. कोलाहल से दूर के जीवन की कल्पना वाले विचारों में लगभग हमेशा शानदार पहाड़ों पर रहना, जंगलों या किसी निर्जन द्वीप पर रहना या समुद्र के निकट या किसी झील के पास रहना शामिल होगा. पूरी दुनिया में इसी की चाहत है, क्योंकि प्रकृति भी उसी स्रोत से बनी है, जिससे हम बने हैं.


सेवानिवृत्ति के नए मायने है, आपकी निजी उन्नति. यह एक अवसर है कि आप अपने आसपास एक घेरा बनाये, जो आपका अपने लिए हो, पुराने ज़ख़्मों को भर लें, और वास्तव में अपने आप को जानिये. अब जबकि आपके पास बहुत समय है, जनर्ल लिखना शुरू कीजिए. अपने साथ में रहने की शानदार आदत डालिए और अपने जीवन को गहरे उतरकर समझिए, अपने रिश्तों और जीवन की प्रेरणाओं को जानिये.

आपका समय अंतत: आपके अपने लिए होना चाहिए.
               
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लेखक गार्डियन फार्मेसीज के संस्थापक अध्यक्ष हैं. वे ५ बेस्ट सेलर पुस्तकों रीबूट (Reboot), रीइंवेन्ट (Reinvent),  रीवाईर (Rewire) : 21वीं सदी में सेवानिवृत्ति का प्रबंधन, (Managing Retirement in the 21st Century); द कॉर्नर ऑफ़िस, (The Corner Office); एन आई फ़ार एन आई (An Eye for an Eye); द बक स्टॉप्स हीयर- (The Buck Stops Here) – लर्निंग ऑफ़ अ # स्टार्टअप आंतरप्रेनर और (Learnings of a #Startup Entrepreneur) द बक स्टॉप्स हीयर- माय जर्नी फ़्राम अ मैनेजर टू ऐन आंतरप्रेनर, (The Buck Stops Here – My Journey from a Manager to an Entrepreneur) के लेखक हैं.

ट्विटर : @gargashutosh  
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