Friday 15 March 2019

12 कारण जिनसे मोदी 2019 में फिर से पीएम बनेंगे



चुनावी बिगुल बज चुका है और मोदी सरकार की तमाम उपलब्धियों के बारे में पहले ही लिखा जा चुका है। श्री मोदी अपने पहले पाँच साल के कार्यकाल में जिन कामों को पूरा नहीं कर पाए हैं, उनके बारे में भी बहुत कुछ लिखा गया है।
औसत भारतीय मतदाता मुख्य रूप से जो प्राप्त करना चाहता है, वह है :
  1. साफ-सुथरा प्रशासन, क्योंकि हम गैर-भाजपाई सरकारों के चलते पिछले 70 वर्षों में भ्रष्टाचार की पराकोटी की अधिकता से बहुत नाराज और निराश हैं।
  1. देश का मजबूत आर्थिक विकास जिससे धन वृद्धि और रोजगार का सृजन होगा।
  1. सुरक्षित वातावरण जहाँ हम लगातार खतरों की आशंका के बिना रह सकें कि कहीं कोई हमें और हमारे परिवारों को शारीरिक रूप से नुकसान तो नहीं पहुंचा देगा। हम अपने कंधों को बिना भय के देखना चाहते हैं। क्या अब हम फिर मेज और कुर्सियों के नीचे अज्ञात बैग के डर को देखना चाहते हैं।
  1. जीवन की सभी आवश्यकताओं के साथ स्वच्छ वातावरण ताकि हम अपने परिवारों के साथ सामान्य जीवन जी सकें।
आइए हम उन कारणों की पड़ताल और जाँच करें जिसकी वजह से मेरा यह मानना है कि न केवल मोदी को सत्ता में वापस आना चाहिए, बल्कि मुझे विश्वास है कि मतदाताओं के मतों से वे ही सत्ता में वापस आएँगे।                                  
  1. सकारात्मक रिपोर्ट कार्ड: पिछले चुनावों के दौरान 2014 में श्री मोदी ने वादा किया था कि वे 2019 में अपने रिपोर्ट कार्ड के साथ निर्वाचन क्षेत्र में वापस आएँगे। पहले पाँच साल के कार्यकाल की उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है। कुल मिलाकर मतदाता श्री मोदी के शासन और भारत के लिए उनके द्वारा निर्धारित की गई दिशा से संतुष्ट है। विपक्षी नेताओं में से कुछ को छोड़ दें तो और कोई भी एक कार्यकाल में किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं करता है।
  1. अर्थव्यवस्था: भारत अब दुनिया की छठी सबसे बड़ी और क्रय शक्ति समानता के मामले में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इससे भी महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि श्री मोदी भारत को अगले दशक में त्वरित वृद्धि की राह पर ले आए हैं। यहाँ ऐसा नेता है जो हर संभव सभी मजबूत निर्णय लेने से नहीं हिचकिचाया है, चाहे वे अर्थव्यवस्था से संबंधित हों या मौलिक संहिता सुधार हो जैसे कि दिवालियापन कोड।
  1. स्वच्छ सरकार: श्री मोदी ने उन्हें धमकाने वालों के दिमाग में भी स्पष्ट रूप से स्थापित कर दिया है कि वे बहुत साफ हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित करने का हर संभव प्रयास किया है कि उनकी सरकार में कोई भ्रष्टाचार न हो। पिछले पाँच वर्षों में छोटा- बड़ा कोई घोटाला नहीं हुआ है। हममें से ज्यादातर लोग उसके लिए भी भुगतान करने के आदी हैं, जो अमूमनन हमारे अधिकार हैं। ड्राइविंग लाइसेंस या नया पासपोर्ट प्राप्त करना हमारी सरल आवश्यकताएँ हैं, जिसके लिए भी हम दलालों की तलाश करते थे। अब यह पूरी तरह से बंद हो गया है।
  1. भारतीय पासपोर्ट: स्पष्ट रूप से 30 साल पहले की तुलना में भारतीय पासपोर्ट आज अधिक सम्मानित है। मैं यह कह रहा हूँ दुनिया भर में यात्रा करने वाले अपने पिछले चार दशकों के काफी व्यक्तिगत अनुभव के साथ। इससे पहले, भारतीय पासपोर्ट को दुनिया भर के आव्रजन अधिकारियों द्वारा स्वेच्छा से और इतने सारे सवालों के बिना लिया नहीं जाता था। 
  1. विदेश नीति: भारत अब राष्ट्र मंडल में कद्दावर हुआ है। भारत पाकिस्तान को छोड़कर सभी पड़ोसी राज्यों के साथ बहुत अच्छे संबंध विकसित करने में कामयाब रहा है। साथ ही भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस, ईरान और इजरायल के साथ-साथ चीन के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाए रखने में सफल रहा है। ईरान पर प्रतिबंध लगाते हुए भी संयुक्त राज्य अमेरिका भारत को उनसे तेल खरीदना जारी रखने के लिए सहमत हुआ। एयर इंडिया अब सऊदी अरब से इजरायल के लिए उड़ान भर सकता है और जब श्री मोदी ने जॉर्डन से फिलिस्तीन के लिए उड़ान भरी, तो इजरायली विमान ने उन्हें सुरक्षा प्रदान की। 
  1. महागठबंधन: स्पष्ट रूप से महागठबंधन काम नहीं कर रहा है। निश्चित रूप से उस तरीके से नहीं जिस तरह राहुल गाँधी ने उनसे एक और सभी के नेता के रूप में ताज पहनवाया था। क्षेत्रीय नेताओं के इस अभिप्रेरक समूह के किसी भी घटक के पास कोई सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम नहीं है और न ही वे ऐसे किन्हीं मूल्यों के समान सेट का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे वे मतदाताओं के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं। महागठबंधन के युद्धरत नेता जली-कटी बातें करते हुए अपना असली रंग दिखा रहे हैं। वे एक ही सांस में अपने गठबंधन सहयोगियों की आलोचना भी कर रहे हैं और प्रशंसा भी। उनका एकमात्र एकल बिंदु एजेंडा श्री मोदी को हटाना भर है। विपक्षी नेताओं ने खुले तौर पर कहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन हो सकता है लेकिन प्रादेशिक चुनावों के लिए नहीं। ये राजनीतिक दल जितना समझते हैं, उससे कहीं अधिक भारतीय मतदाता होशियार है। क्या वे वास्तव में सोचते हैं कि हम मतदाता इतने मूर्ख हैं? 
  1. राहुल गाँधी: श्री गाँधी ऐसा कुछ भी करने में सक्षम नहीं हैं जिसका कुछ नतीजा निकले और तब भी वे यह मानना चाहते हैं कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में उनकी जीत केवल उनके खाते में थी, लेकिन अगर कोई चुनावी मतदानों को देखें तो वह संख्या कुछ अलग कहानी कहती है। श्री गाँधी ने भारत के लिए किसी भी स्पष्ट दृष्टिकोण या मार्ग की घोषणा नहीं की है। उनके पास अपने पूर्ववर्तियों की उपलब्धियों के राग आलापने के अलावा कुछ भी सकारात्मक नहीं है। वे बस राफेल सौदे पर भरोसा करते हैं और उम्मीद रखते हैं कि कुछ भ्रष्टाचार के आरोप श्री मोदी पर लग सकेंगे। जबकि कोई उन पर विश्वास नहीं करता। वे न केवल मतदाताओं के लिए बल्कि उनकी पार्टी के अधिकांश सदस्यों के लिए भी हँसी के पात्र बनते जा रहे हैं। 
  1. हिंदी केंद्रीय स्थल: हिंदी के केंद्रीय स्थलों का दिल अभी भी श्री मोदी के साथ हैं। हाँ, उन्होंने तीन राज्यों में भाजपा को मतदान कर बाहर कर दिया, लेकिन जब राष्ट्रीय चुनाव होंगे, तो वे बाहर आएँगे और श्री मोदी के लिए बहुत बड़ी संख्या में मतदान करेंगे, जो स्पष्ट रूप से आज देश के सबसे बड़े नेता हैं। बड़ी संख्या में मतदाताओं के मन में राम मंदिर एक बड़ा मुद्दा है, यही वजह है कि श्री गाँधी के वफादार प्रवक्ताओं ने यह नारा लगाना शुरू कर दिया है कि केवल काँग्रेस ही मंदिर का निर्माण कर सकती है। जब मंदिर की बात आती है, तो सभी जानते हैं कि केवल भाजपा ही अपने तार्किक निष्कर्ष के माध्यम से इसे देख सकती है। 
  1. आधारभूत संरचना: भारत के बुनियादी ढाँचे में दृश्यमान सुधार दिखता है। नई सड़कों के निर्माण से लेकर हवाई अड्डों तक और बिजली की बेहतर आपूर्ति से लेकर सुपर-फास्ट ट्रेनों तक, सबके लिए बेहतर बुनियादी ढाँचे की दिशा का रास्ता दिख रहा है। वर्ष 2014 से पहले, हमने अपने दैनिक जीवन के एक हिस्से के रूप में "लोड शेडिंग" को शामिल कर लिया था। जो अब बंद हो गया है। मतदाता का मानना है कि अभी और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है और श्री मोदी ने जो शुरू किया उसे पूरा करने के लिए वे उन्हें समय देने को तैयार हैं। 
  1. आतंक पर सख्त: चुनाव आयोग ने अनुमान लगाया है कि 80 मिलियन से अधिक नए मतदाता हैं जो वर्ष 2019 में पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। उनका अयोध्या या राम मंदिर से कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन इन मिलियनों को श्री मोदी में एक ऐसा नेता दिखाई देता है, जिसमें साहस है, जो तेजी पलटवार और कठोर वार करता है। वे उनकी जीवनशैली में समग्र सुधार देखते हैं, और वे भारत के प्रति वैश्विक दृष्टिकोण में परिवर्तन भी देख पा रहे हैं। यही वह है जो उन्हें चुनाव के दिन "कमल" के प्रति प्रेरित करेगा। 
  1. पुलवामा और बालाकोट: हालाँकि किसी को भी राष्ट्रीय सुरक्षा और सशस्त्र बलों का उपयोग राजनीतिक हितों के लिए नहीं करना चाहिए, पर पुलवामा हमले और बालाकोट हवाई हमले की वास्तविकता सभी को दिख रही है। अगर विपक्ष ने श्री मोदी के 56 इंच के सीने की बात करते हुए पुलवामा हमले के बाद अपनी नाक नहीं घुसाई होती तो उन्हें हवाई हमले के बाद अपनी नाक नहीं कटवानी पड़ती। यह स्पष्ट रूप से मतदान के दिन मतदाता के दिमाग में होगा। 
  1. ग्रामीण अर्थव्यवस्था: हालाँकि विपक्षी दल चाहेंगे कि हम कुछ और विश्वास करें अन्यथा, तेजी से आगे बढ़ने वाली उपभोक्ता वस्तुओं की कंपनियों और ऑटोमोबाइल कंपनियों के आँकड़े ग्रामीण भारत में अपनी बिक्री में उल्लेखनीय सुधार दिखाते हैं। तीव्र तनाव होने पर यह संभव नहीं हो सकता था। यदि कुछ है तो वह यह कि श्री मोदी ने गरीबों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। हाँ, ग्रामीण भारत में और काम किए जाने की जरूरत है।                                                                                                    
पिछले कुछ महीनों में एक नई हवा आई है जो भारतीय जनता पार्टी में बड़ी उम्मीदें भर रही है और यह पार्टी नए सिरे से आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही है। सहयोगी दल वापस आ रहे हैं और विपक्षी दलों के नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
यहाँ तक कि सबसे कड़े विपक्षी समर्थकों को पता है कि कई विपक्षी दलों द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे विकल्प के बारे में न के बराबर कुछ कहना तक भयावह है। वे हर महीने, जैसे ही संगीत बंद हो जाए,नए संगीत के साथ प्रधानमंत्री की स्थिति के लिए संगीत कुर्सी के खेल की कल्पना नहीं कर सकते!
मतदाता, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का बटन दबाने के साथ अंतिम निर्णय लेंगे, वे जानते हैं कि वे मोदी को चुनाव हारने नहीं दे सकते।
अभी तो इससे भी अच्छा होना बाकी है।
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लेखक कार्यकारी कोच और एंजेल निवेशक हैं। राजनीतिक समीक्षक और टीकाकार के साथ वे गार्डियन फार्मेसीज के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं। वे 6 बेस्ट सेलर पुस्तकों – द ब्रांड कॉल्ड यू- The Brand Called You रीबूट- Reboot. रीइंवेन्ट Reinvent. रीवाईर Rewire: 21वीं सदी में सेवानिवृत्ति का प्रबंधन, Managing Retirement in the 21st Century; द कॉर्नर ऑफ़िस, The Corner Office; एन आई फ़ार एन आई An Eye for an Eye; द बक स्टॉप्स हीयर- The Buck Stops Here – लर्निंग ऑफ़ अ # स्टार्टअप आंतरप्रेनर और Learnings of a #Startup Entrepreneur and द बक स्टॉप्स हीयर- माय जर्नी फ़्राम अ मैनेजर टू ऐन आंतरप्रेनर, The Buck Stops Here – My Journey from a Manager to an Entrepreneur. के लेखक हैं। 
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  • अनुवादक- स्वरांगी साने – अनुवादक होने के साथ कवि, पत्रकार, कथक नृत्यांगना, साहित्य-संस्कृति-कला समीक्षक, भारतीय भाषाओं के काव्य के ऑनलाइन विश्वकोष-कविता कोश में रचनाएँ शामिल। दो काव्य संग्रह- काव्य संग्रह “शहर की छोटी-सी छत पर” मध्य प्रदेश साहित्य परिषद, भोपाल द्वारा स्वीकृत अनुदान से प्रकाशित और काव्य संग्रह “वह हँसती बहुत है” महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा द्वारा स्वीकृत अनुदान से प्रकाशित।

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