Friday, 2 February 2018

"रोटी, सेहत और मकान" बजट, 2018



बजट के बारे में बहुत ज़्यादा आवेश और गुस्से से भरे विश्लेषण का दौर ख़त्म हो गया है। बजट के बाद के समर्थकों के हमेशा की प्रथा की तरह साधुवाद करने और विपक्ष की ओर से पत्थरबाजी करने के पहले कुछ घंटे भी बीत गए हैं।

राष्ट्रीय मीडिया में कांग्रेस के घिसे-पीटे "जुमला" आरोपों पर भी चर्चा हो गई है। कुछ किसानों ने अपना असंतोष व्यक्त किया है। सर्वविदित "मध्यम वर्ग" ने कहा है कि वह नाखुश है। और कॉर्पोरेट जगत ने भी निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि वित्त मंत्री ने उन्हें "भूला दिया" है।

एक दिन बीत चुका है और अब यह समय है कि अब हम लंबी-गहरी सांस लेकर अपनी सारी भावनाओं को एक तरफ रखकर बजट प्रस्तावों का अनिच्छा से ही सही पर जायज़ा लें।

सिंगापुर के संस्थापक श्री ली कुआन यू ने अगस्त 1965 में सिंगापुर संसद में दिए अपने पहले भाषण में कहा था कि जैसे कि उन्होंने एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी यात्रा शुरू की है, वे चाहते हैं कि  सिंगापुरवासी दो चीजों को हमेशा याद रखें। नव निर्वाचित संसद सदस्यों के लिए उनका पहला संदेश यह था कि विश्व ने सिंगापुर को जीवित रहने का श्रेय नहीं दिया। उनका दूसरा संदेश यह था कि उनकी पीढ़ी के लिए बेहतर या बदतर की योजना पहले ही बन चुकी है और अब सांसदों को सिंगापुर की अगली पीढ़ी के लिए योजना बनाने के बारे में सोचने की ज़रूरत है।

अपने मस्तिष्क में इन दो बातों को ध्यान से रखते हुए, आइए हमारे वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट का परीक्षण करें।

ज़ाहिर है, मध्यम वर्ग व्याकुल है क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें दरकिनार कर दिया गया है। धनी और आला अधिकारी परेशान है क्योंकि उनके आयकर में कमी नहीं हुई है। लेकिन यह वह समय है जब मतदाता वर्ग को शांति से बैठकर इस पर विचार करना चाहिए कि वे वहाँ है क्योंकि पूर्व वित्त मंत्रियों ने उनके बारे में वहीं सोचा था। बिल्कुल, वे हमेशा "अधिक से और अधिक" की आशा कर सकते हैं, लेकिन ऐसे सूचक आय असमानताओं के देश में हमारे देश के बहुत गरीब और लगभग भूला दिए गए लोगों के लिए उन्हें अपनी प्रोत्साहन राशि के लिए कुढ़ते रहना बंद करना होगा। यदि कॉर्पोरेट जगत के लोग भारत में दीर्घकालिक और स्थायी विकास देखना चाहते हैं तो उन्हें निर्धारित कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व से भी आगे जाकर सोचने की आवश्यकता है।  

सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में विमुद्रीकरण, वस्तु एवं सेवा कर और दिवालियापन संहिता को लागू करने के माध्यम से संरचनात्मक सुधारों की पहल की दिशा में बहुत साहसी कदम उठाए हैं। इन सुधारों की वजह से अल्पावधि की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन ये सुधार आने वाले कई सालों की हमारी अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायी होंगे। इस बजट में राजकोषीय घाटे को 3.3% में निहित किया गया है, जो चुनावों में भाग लेने के  वित्तीय विवेक की ओर झुकाव दिखा रहा है।

आइए हम उन दोनों महत्वपूर्ण बजट प्रस्तावों को देखते हैं, जो सकारात्मक हैं और दूसरे वे भी जो उतने सकारात्मक नहीं हैं, पर जो हमारे देश की आम जनता को प्रभावित करने वाले हैं।

1.   स्वास्थ्य बीमा योजना- विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना की घोषणा से 10 करोड़ घरों या 50 करोड़ लोगों को फायदा होगा। कोई जब यह महसूस करता है कि यह संख्या देश की 40% आबादी है, तो उसे प्रस्ताव का परिमाण समझ में आता है। इससे आम आदमी को वास्तव में फायदा होगा। इतने बड़े पैमाने पर कुछ भी लागू करने में थोड़ा समय तो लगेगा और कुछ ख़ामियाँ भी होंगी, लेकिन यदि इरादे और दिशा स्पष्ट हो, तो आलोचकों को आसानी से नजरअंदाज किया जा सकता है।

2.   फसल ख़रीद मूल्य- बजट में फसलों की खरीद कीमतों में 1.5 गुना बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है जिससे किसानों के हाथों में तुरंत ज्यादा पैसे जाएगा। पिछले 4 वर्षों के लगातार बढ़ते खरीद मूल्य के मद्देनज़र यह बहुत महत्वपूर्ण आगाज़ है। यह किसानों के लिए संस्थागत ऋण में बड़ी वृद्धि के साथ संवर्धित होगा। हालाँकि किसानों ने ऋण छूट की उम्मीद की थी, लेकिन वह नहीं दी गई है। ऋण छूट को फ़िलवक़्त "यथावत" रखा गया है और अर्थव्यवस्था की भारी कीमत पर अस्थायी समाधान प्रदान किया गया है।

3.   ऑपरेशन ग्रीन- आलू, टमाटर और प्याज की भिन्न कीमतों के कारण देश के कई हिस्से बेज़ार हैं, इसे वार्षिक चुनौतियों का सामना करने के रूप में लिया गया है, इस बजट ने ऑपरेशन ग्रीन के रूप में इसकी सिफारिश उसी तरह की है जैसे दूध के लिए ऑपरेशन फ्लड है। एक बार फिर, यह हमारे सारे आहार में ज़रूरी इन प्रधान सब्जियों की कीमतों को स्थिर करने में मदद करेगा। इसका प्रभाव आने वाले समय में साफ़ दिखाई देगा।

4.   वर्ष 2022 तक सभी के लिए आवास- बजट में वर्ष 2022, गणतंत्र की 75 वीं वर्षगांठ तक, सभी के लिए आवास पर ज़ोर देने को जारी रखा गया है। ऐसे भारत की कल्पना कीजिए जहाँ सभी के सिरों पर उनकी अपनी छत हो।

5.   बुनियादी ढाँचापूरे देश में जिस बुनियादी संरचनात्मकता की आवश्यकता है इस बजट में भी उसके लिए अधिक राशि जुटाने का प्रावधान रखा गया है। बेंगलुरु मेट्रो के लिए वृद्धिगत आबंटन के जरिए कर्नाटक मतदान केंद्र का वित्त मंत्री ने विशेष उल्लेख किया है। 

6.   उज्ज्वला योजना - इस योजना से 5 करोड़ से अधिक महिलाओं को मुफ्त रसोई गैस दी है और बजट में इस संख्या को 8 करोड़ महिलाओं तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। हमें थोड़ा रुककर यह सोचना चाहिए कि जहाँ एक ओर कई लोगों के लिए गैस एकदम बेजा वस्तु है, वहीं देश में बड़े पैमाने पर हमारे ऐसे कई संगी-साथी हैं, जो चूल्हे के लिए अभी भी लकड़ी और कोयले पर निर्भर है, आज़ादी के इतने सालों बाद पहली बार उन्हें गैस सिलेंडर का लाभ मिलने वाला है। 

7.   स्वच्छ भारत - पिछले कुछ सालों में 6 करोड़ शौचालयों की स्थापना के बाद, बजट में इस अभियान को जारी रखने और आने वाले वर्ष में इसके अतिरिक्त और 2 करोड़ शौचालय बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। एक बार फिर, हमें आधारभूत के रूप में इस बारे में सोचना चाहिए जिससे भारत खुले में शौच से मुक्त हो सकेगा, जो अब तक पिछले 7 दशकों में इतने सारे लोगों के लिए उपलब्ध नहीं था।

8.   दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ- इन्हें दोबारा शुरू किया गया है और इसके लिए वित्त मंत्री ने जो कवर चुना है वह तेज़ शेयर बाज़ार में से एक है। शेयर बाजारों के उछालों को कभी बेकार नहीं समझा जा सकता है, बल्कि दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ, नकद भुगतान करने का एक तरीका है। इस प्रावधान पर पुनर्विचार करने और इसे पलटने की आवश्यकता है।

9.   सीमा शुल्क बढ़ाना - सीमा शुल्क में वृद्धि का प्रस्ताव निश्चित रूप से बहुत ही प्रतिगामी और अयोग्य सलाह है, विशेष रूप से उस देश के लिए, जो अधिक निवेश पर जोर दे रहा है। हालाँकि यह "मेक इन इंडिया" को समर्थन देने वाला एक मजबूत कदम प्रतीत हो सकता है, सीमा शुल्क को हमेशा व्यापार बाधाओं के रूप में देखा जाता है, जो संभावित निवेशकों को डराता है। बहुल जनता के उपकरण स्मार्ट फोन पर सीमा शुल्क बढ़ाना, जबकि कृत्रिम होशियारी में अतिरिक्त निवेश का जिक्र करना और ब्लॉकचैन को कम से कम कहना चकित कर रहा है।


लेकिन "मध्यम वर्ग" के लिए अभी भी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है और मायूस होने की कोई आवश्यकता नहीं है। हालाँकि अगले चुनावों से पहले का यह अंतिम पूर्ण बजट है, यदि वास्तव में मध्यम वर्ग के बीच संकट के मजबूत आसार दिख रहे हैं तो मुझे यकीन है, यह सरकार, मध्य-वर्ष के दरमियान कुछ संशोधन करते हुए अतिरिक्त रियायतों की पेशकश करेगी।

यदि भारत को 5 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में राष्ट्रों की मंडली में अपनी सही जगह हासिल करना है,तो उन लोगों को थोड़ा त्याग तो करना पड़ेगा जिनके पास पिछले 7 दशकों मेंसब कुछरहा है।

निष्कर्ष के तौर पर, मैं पाठकों को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के उद्घाटन भाषण की याद भी दिलाना चाहूँगा कि "यह पूछें कि आपका देश आपके लिए क्या कर सकता है, पूछिए कि आप अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं।"


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लेखक गार्डियन फार्मेसीज के संस्थापक अध्यक्ष हैं. वे बेस्ट सेलर पुस्तकोंरीबूट- Reboot. रीइंवेन्ट Reinvent. रीवाईर Rewire: 21वीं सदी में सेवानिवृत्ति का प्रबंधन, Managing Retirement in the 21st Century; कॉर्नर ऑफ़िस, The Corner Office; एन आई फ़ार एन आई An Eye for an Eye; बक स्टॉप्स हीयर- The Buck Stops Here – लर्निंग ऑफ़ # स्टार्टअप आंतरप्रेनर और Learnings of a #Startup Entrepreneur and बक स्टॉप्स हीयर- माय जर्नी फ़्राम मैनेजर टू ऐन आंतरप्रेनर, The Buck Stops Here – My Journey from a Manager to an Entrepreneur. के लेखक हैं.

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