Sunday 25 February 2018

पाकिस्तान - अंदरूनी युद्ध



अधिकांश पुराने भारतीयों के दिलों में पाकिस्तान का अपना अलग विशेष स्थान है, जो उसे हमारे राष्ट्र के ही अलहदा हिस्से के रूप में देखते हैं। परिवार बिछड़ गए और संपत्ति चली गई। सिरिल रेडक्लिफ़ द्वारा उप-महाद्वीप के माध्यम से काल्पनिक और अधूरी रेखा खींच दी गई जिसका परिणाम यह हुआ कि दुनिया में कहीं नहीं हुआ होगा इतनी बड़ी संख्या में लोगों को स्थान परिवर्तन करना पड़ा और राजनैतिक रूप से प्रेरित दंगों के परिणामस्वरूप 2 मिलियन से ज्यादा लोग मारे गए।

पाकिस्तान का शाब्दिक अर्थ "पाक भूमि" है। यह दीगर बात है कि जब पिछले 7 दशकों के इसके कर्मों और कार्यों को देखें तो सच्चाई से कोसों दूर है। पाकिस्तान दाऊद इब्राहिम, हाफ़िज़ सईद, लश्कर, जैश--मोहम्मद, हरक़ातुल मुजाहिदीन, हक्कानी नेटवर्क और दर्जनों अन्य आतंकवादी समूहों का घर बन चुका है और पाकिस्तानी संस्थान का इससे निरंतर अस्वीकार अब दुनिया द्वारा स्वीकार नहीं किया जा रहा है।

जिन्ना के पाक सपने के साथ ऐसा यह क्या गलत हो गया? उनका एकता, विश्वास और अनुशासन का संदेश आधुनिक पाकिस्तान में यूँ इस तरह से कैसे पहुँच गया? पाकिस्तान, उसके नेता और वहाँ की आबादी ने आख़िर वह कथानक कहाँ खो दिया?

आइए हम उन चुनौतियों को देखें, जिनका सामना पाकिस्तान कर रहा है।

धर्म और मुस्लिम भाईचारा- पाकिस्तान मुस्लिम उम्माह (समुदाय) में बहुत दृढ़ता से विश्वास रखता है। मुस्लिम भाईचारा। पाकिस्तानी पत्रकार तब गहरा झटका और आश्चर्य व्यक्त करते हैं, जब उनके द्वारा रखे मुद्दों का अन्य सभी मुस्लिम देश अंधों की तरह समर्थन नहीं करते। यद्यपि उम्माह हमेशा प्रासंगिक रहेगा, लेकिन इन देशों तक बिना किसी मुआवजे की उम्मीद के ज़रूरतमंदों तक मदद पहुँचाने, खैरात बाँटने के लिए यह अब और अधिक बैसाखी नहीं बना रह सकता है।

उम्माह के अन्य मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान के इतने सारे आतंकवादियों को पाकिस्तान में डेरा डालने को लेकर अंधा समर्थन देने के लिए तैयार नहीं है। अन्य मुस्लिम देशों में राष्ट्रवाद समृद्ध जातीयता, भाषा और संस्कृति पर आधारित है बजाय पाकिस्तान में देखा गया है कि वहाँ केवल धर्म पर आधारित है। यही एक मुख्य वजह थी जिसकी वजह से वर्ष 1971 में बांग्लादेश को टूटकर अलग हुआ था। कितने समय तक धर्म जनता का पेट भरेगा और कितने समय तक धर्म रोजगार, विकास और शिक्षा प्रदान कर सकता है?

कश्मीर- पाकिस्तान कभी भी पाक अधिकृत कश्मीर को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता, जबकि वह बहुत अच्छी तरह से जानता है कि भारत कश्मीर पर अपना दावा कभी नहीं छोड़ेगा। कश्मीर अपने नेतृत्व के लिए लगभग बस एक नारा बन गया है जो अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अप्रासंगिक-सा और पाकिस्तान के भीतर बहुत कमजोर-सा हो गया है। बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन तेज़ हो रहा है और यह कुछ ही समय की बात है केवल तब तक ही, जब तक अन्य राज्य पाकिस्तानी संस्थान से हताशा ज़ाहिर नहीं कर देते।

भारत विरोधी भावना- पाकिस्तान कब तक वहाँ की जनता को भारत विरोधी भावनाओं का दाना चुगाता रहेगा और नफरत के भोज पर वहाँ की आसानी से धोखा खा जाने वाली जनता कब तक जीवित रहेगी? जब मैं पहली बार वर्ष 2002 में कराची गया था, मैं यह देखकर दंग रह गया कि वहाँ भारत के ख़िलाफ़ कितना बैर भरा हुआ था। भारत-विरोधी प्रचार का ज़हर निगलती आबादी इससे भला और कुछ नहीं जानती है। पाकिस्तान का इतिहास वर्ष 1947 से शुरू होता है। यह तथ्य कि पाकिस्तान भारत का हिस्सा था, लोगों के दिलो-दिमाग़ से मिटा दिया गया है।

लेकिन वास्तविकता अब चोट पहुँचाने लगी है। पत्रकार अपने राजनेताओं पर सवाल दाग रहे हैं कि उनका देश क्यों इतना पिछड़ गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था पाकिस्तान के आकार से लगभग 10 गुना ज़्यादा है और मोटे-मोटे तौर पर यह 7.5% की दर से प्रतिवर्ष (पाकिस्तान में 4.5%) बढ़ रही है।

भारत के विकास के साथ अब दुनिया भारत और पाकिस्तान को एक युग्म से अलग कर देख रही है। एक वक़्त था जब दोनों देशों में बात करने के हालात थे, लेकिन अब पाकिस्तान के साथ किसी सूत्र से बँधने से भारत बहुत आगे निकल गया है। यह निश्चित रूप से पाकिस्तानी संस्थान को कचोटता होगा, जो ख़ुद को हमेशा भारत के ही गुट में देखना चाहता रहा है।

बलि का बकरा- पाकिस्तानी नेता और पत्रकार हमेशा बलि के बकरे का खेल खेलते रहे हैं और इतना अतिश्योक्तिपूर्ण तरीके से बल देते हैं जैसे वे आतंकवाद के शिकार हैं कि इसके मुजरिम। वे लगभग पूरी तरह से अपने लोगों के गले यह बात उतार चुके हैं कि पूरी दुनिया उनके खिलाफ षड्यंत्र कर रही है। अब इन लोगों को यह समझना शुरू कर देना चाहिए कि दुनिया में पाकिस्तान का होना कोई एहसान नहीं है और उन्हें खड़े होना और अपने भाग्य पर खुद नियंत्रण रखना ही होगा।

परमाणु ऊर्जा- एक राष्ट्र जिसके पास परमाणु ऊर्जा है वह इस शक्ति से जुड़ी बड़ी जिम्मेदारी को जानता है। पाकिस्तान के साथ ऐसा नहीं है। पाकिस्तान में ऐसा कोई दिन नहीं जाता,जब उनके पत्रकार या वहाँ की सेना उनकी परमाणु क्षमताओं के बारे में बात नहीं करते। कई प्रमुख पत्रकार बार-बार घोषणा करने में गर्व महसूस करते हैं कि केवल वे एकमात्र मुस्लिम राष्ट्र है जिन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा यह शक्ति देने के लिए चुना गया था।

कोई आबादी कब तक भूख से बिलबिलाती, बिजली की कमी से तरसती और बिना नौकरी अपने पेट को केवल अपने राष्ट्र के पास परमाणु शक्ति होने की सांत्वना से भरती रहेगी? वे अपने परिकल्पित परमाणु निवारक का आसरा कब तक लेते रहेंगे?

भ्रष्टाचार- विश्व के अधिकांश विकासशील देशों में भ्रष्टाचार सबसे बड़ी बला है। इन देशों में, लोग ने उन बातों के लिए रिश्वत दी है, जो वैसे भी उनका अधिकार है! दुनिया के कई देशों में विश्व के शीर्ष 20 सबसे भ्रष्ट राष्ट्रों में बने रहने की प्रतिस्पर्धा है। यह पाकिस्तान को कुछ शान्ति और गौरव प्रदान करेगा कि इस एक मापदंड में, यह विश्व के सबसे भ्रष्ट राष्ट्रों में लगातार बने रहने में सफल रहा है। नवीनतम पनामा पेपर्स कांड है, जिसमें पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ को अपराधियों में से एक के रूप में नामित किया गया है।

चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा- सीपीईसी (चाइना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर), कहकर हम कभी पाकिस्तान की सभी समस्याओं का जवाब टाल देते हैं। चीन द्वारा किया निवेश, पाकिस्तान का "हर मौसम" में साथ देने वाले मित्र ने ऋणों को ब्याज में परिवर्तित कर दिया है, जिसे देश जुटा नहीं सकता। पाकिस्तान की कमज़ोर और पतली गर्दन पर $ 50 बिलियन अमरीकी डॉलर सौंपना भारी रोड़ा बन गया है और देश की ब्याज छोड़ केवल अकेले कर्ज़ ही चुकाने की भी क्षमता नहीं है।  

पाकिस्तानी नौकरियाँ ईज़ाद हो रही हैं लेकिन मुख्य रूप से चीनी लोगों के लिए, जो पाकिस्तान में बड़ी संख्या में दुकानदार हैं। सीमेंट निर्माण के लिए चीन से  पुराना उपकरण भेजा गया है। ऐसी अफवाह थी कि 20 मिलियन चीनी हैं जिन्हें पाकिस्तान में काम करने और रहने के लिए वीजा दिया गया है। चीनी मुद्रा युआन अब व्यापक रूप से पाकिस्तान में स्वीकार कर ली गई है और कुछ लोगों का तो यहाँ तक मानना है कि इसके लिए कुछ ही समय बचा है कि युआन के लिए पाकिस्तान में कानूनी निविदा बन जाएगी। यह अफवाह थी कि पाकिस्तान ने मेंडारिन को आधिकारिक भाषा बनाने का फैसला कर लिया है। इस बात से जल्दी ही इनकार कर दिया गया था लेकिन आग के बिना कोई धुआं नहीं हो सकता!

क्या हम श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह के दोहराए जाने की आशंका देख रहे हैं, जब चीनी कंपनियों ने 99 साल के पट्टे पर हस्ताक्षर किए और बंदरगाह पर कब्जा कर लिया? क्या सिर्फ समय की बात है जब इस बंदरगाह पर तैनात चीनी नौसेना के जहाजों को देखा जाएँ?

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ), जो 23 फरवरी 2018 को हुआ, उसमें पाकिस्तान को काली सूची में डालने का फैसला लिया गया है, और पाकिस्तान पर इसके बहुत गहरे परिणाम दिखेंगे, जो पहले से ही गंभीर संकट से जूझते हुए अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करने के लिए संघर्ष कर रहा है। सिवाय इसके कि पाकिस्तान अगले तीन महीनों में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को स्वीकार्य कदम उठाए, एफएटीएफ हो सकता है उस कहावत की तरह वह अंतिम मार हो, जो कमर तोड़ दें। चीन ने एफएटीएफ पर पाकिस्तान के खिलाफ मतदान के साथ, मैं पाकिस्तानी पत्रकारों को यह कहते हुए सुन तक सकता हूँ-"और तू चीन? फिर पाकिस्तान गिर जाए! "

पाकिस्तान की इस स्थिति के लिए वह खुद को ही दोषी ठहरा सकता है। अपने तमाम दोषों के लिए किसी एक राजनेता को दोषी मानना पाकिस्तान के सामने जो स्थानिक चुनौतियाँ हैं उसका अल्पकालिक जवाब है। पाकिस्तानी सेना जिसने देश पर, देश की लगभग आधी से ज्यादा आयु तक शासन किया है, को भी इस स्थिति की ज़िम्मेदारी लेने की आवश्यकता है, जिसका देश सामना कर रहा है। राजनेताओं और सेना ने कभी एक दूसरे पर विश्वास नहीं किया और हमेशा अपने झंडा ऊँचा बने रहना चाहते रहे, दूसरों द्वारा लिए कदमों से सावधान होते रहे, दोनों पक्षों ने अपने को देश का उद्धारकर्ता होने का दावा किया।

सामान्य व्यक्ति को जागने की जरूरत है और अपने नेताओं, दोनों राजनीतिक और सेना से जवाबदेही माँगना शुरू करने की आवश्यकता है। इस मानसिकता में परिवर्तन करने के लिए कम से कम एक पीढ़ी लगेगी और वह भी अगर प्रक्रिया अब शुरू होती है। आतंकवाद का समर्थन करने से मदद नहीं हो सकती है। क्या पाकिस्तान यहाँ तक सक्षम हो सकता है कि एक राष्ट्र के रूप में एकजुट रहे, क्या वह बिखर जाएगा?


केवल पाकिस्तान में आर्थिक समृद्धि ही लंबे समय से पीड़ित आम आदमी की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगी। जब तक धन पैदा करने और उनके परिवार को समृद्धि के अवसर नहीं मिलते, धर्म और बयानबाजी केवल अराजकता की ही ओर ले जाएगी।

इसके कोई आसान जवाब नहीं हैं।

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लेखक गार्डियन फार्मेसीज के संस्थापक अध्यक्ष हैं. वे ५ बेस्ट सेलर पुस्तकों रीबूट- Reboot. रीइंवेन्ट Reinvent. रीवाईर Rewire: 21वीं सदी में सेवानिवृत्ति का प्रबंधन, Managing Retirement in the 21st Century; द कॉर्नर ऑफ़िस, The Corner Office; एन आई फ़ार एन आई An Eye for an Eye; द बक स्टॉप्स हीयर- The Buck Stops Here – लर्निंग ऑफ़ अ # स्टार्टअप आंतरप्रेनर और Learnings of a #Startup Entrepreneur and द बक स्टॉप्स हीयर- माय जर्नी फ़्राम अ मैनेजर टू ऐन आंतरप्रेनर, The Buck Stops Here – My Journey from a Manager to an Entrepreneur. के लेखक हैं.

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